Tuesday, October 22, 2019

पूर्वी चीन सागर में नमक के आख़िरी किसान

पूर्वी चीन सागर में झेजियांग प्रांत के तट से दूर 18 हज़ार छोटे-बड़े द्वीप बिखरे हुए हैं. ज़्यादातर द्वीप इतने छोटे हैं कि उन पर कोई नहीं रहता.
उनमें से एक द्वीप अन्य के मुक़ाबले समुद्र तल से ज़्यादा उठा हुआ है. वह है हुआओ द्वीप.
चीन और चीन से बाहर क़रीब 13 वर्ग किलोमीटर में फैले हुआओ की पहचान यहां की क़ुदरती चट्टानों की वजह से है, जिन्हें अजूबा माना जाता है.
यह पूर्वी चीन सागर का एकमात्र ऐसा द्वीप है, जहां नमक तैयार किया जाता है.
कुछ साल पहले तक झेजियांग के कई द्वीपों पर नमक तैयार किया जाता था. अब नमक का उत्पादन करने वाले लोग और उनके फ़ार्म सिर्फ़ हुआओ द्वीप पर बचे हैं.
नमक क़रीब साढ़े छह करोड़ साल पुराने इस द्वीप की 'नक़दी फ़सल' है. यहां के किसान पिछले 1,300 साल से समुद्री नमक की फ़ार्मिंग कर रहे हैं और आज तक उनकी तकनीक में कोई बदलाव नहीं आया.
भूरे रंग की चट्टानी पहाड़ियों से घिरे इस द्वीप में नमक के चौकोर खेत हैं. छोटे-बड़े आकार के आयताकार खेतों के बीच में रास्ते बने हुए हैं. कुछ रास्ते इतने चौड़े हैं कि उन पर मोटर गाड़ियां भी चल सकती हैं.
नमक के खेतों के रंग अलग-अलग दिखते हैं. ऊपर से देखने पर कुछ खेत समुद्री पानी की तरह नीले रंग के दिखते हैं तो कुछ के रंग भूरे नज़र आते हैं.
पानी में नमक का गाढ़ापन बढ़ने पर वहां समुद्री नमक की परत बनने लगती है. किसान और नमक बनने का इंतज़ार करते हैं और फिर खेत में बचे हुए पानी को वापस समुद्र में बहा देते हैं.
वहां बचे हुए नमक को इकट्ठा किया जाता है. उसे छानकर साफ किया जाता है और फिर पानी के जहाजों से झेजियांग तट की ओर भेज दिया जाता है.
चीन के बाहर लाखों लोग हुआओ द्वीप में तैयार किए गए नमक को चखते हैं.
रंग से उनके पानी में नमक के गाढ़ेपन का पता चलता है. गाढ़ापन बढ़ने पर पानी का रंग बदलने लगता है.
हुआओ द्वीप पर नमक के खेत 400 हेक्टेयर में फैले हैं. इनको आप अपनी सुविधा से नमक के तालाब भी कह सकते हैं.
नमक के ये मैदान या समुद्री पानी के वाष्पीकरण के लिए बने उथले तालाब सिर्फ़ ऐतिहासिक अवशेष नहीं हैं. ये चीन और बाहर के कई देशों की नमक की मांग पूरी करते हैं.
हुआओ द्वीप पर क़रीब 1,000 लोग रहते हैं. उनमें से सिर्फ़ 40 लोग ही नमक के खेतों में काम करते हैं.
ये किसान खेतों में बने पूल में मोटर पंप के ज़रिये समुद्र का खारा पानी लाते हैं. सूरज की रोशनी पड़ने पर पानी भाप बनकर उड़ना शुरू हो जाता है.
इसके बाद किसानों की मेहनत शुरू होती है. वे तपती धूप में पानी को हिलोरते हैं और तलछट को निकालते रहते हैं ताकि खेतों में गंदगी न रहने पाए.

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